गर्भावस्‍था में उच्‍च रक्‍तचाप होना खतरनाक

गर्भावस्‍था में उच्‍च रक्‍तचाप होना खतरनाक

सेहतराग टीम

राष्‍ट्रीय अध्‍ययन बताते हैं कि भारत के 32 फीसदी शहरी मर्द और 30 फीसदी शहरी औरतें उच्‍च रक्‍तचाप की शिकार बन गई हैं। पारिवारिक इतिहास, उम्र, लिंग, मधुमेह, किडनी की बीमारी, मोटापा, शराब का सेवन, धूम्रपान, शारीरिक निष्‍क्र‍ियता और तनाव इस खतरे को बढ़ाने वाली ताकते हैं। इसके बावजूद अधिकांश लोग इस बारे में जागरूक नहीं हैं और न ही समय से इसे लेकर बचाव का कोई प्रयास करते हैं।

शोध बताते हैं कि ऐसी महिलाएं जो कि खासकर गर्भावस्‍था के दौरान उच्‍च रक्‍तचाप की शिकार रहती हैं, उनमें बच्‍चे के जन्‍म के बाद हार्ट फेल का जोखिम सामान्‍य से दो गुना ज्‍यादा होता है। समय की जरूरत यही है कि महिला को अस्‍पताल से छुट्टी देने से पहले और बच्‍चे के जन्‍म के बाद कुछ समय तक उसका रक्‍तचाप मॉनिटर किया जाए।

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल ने sehatraag.com को बताया कि गर्भावस्‍था के दौरान महिला को उच्‍च रक्‍तचाप होना मां और बच्‍चे दोनों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। उच्‍च रक्‍तचाप वाली गर्भवती महिला की रक्‍त नलिकाओं में प्रतिरोध उत्‍पन्‍न हो सकता है जिसके कारण पूरे शरीर में, खासकर प्‍लेजेंटा और बच्‍चेदानी में रक्‍त का संचार प्रभावित हो सकता है और इसके कारण भ्रूण का विकास प्रभावित हो सकता है। इसकी वजह से बच्‍चेदानी से प्‍लेजेंटा समय से पहले ही अलग हो सकता है और प्‍लेजेंटा तक ऑक्‍सीजन पहुंचना बाधित हो सकता है और इसके कारण भी भ्रूण का विकास बाधित हो सकता है एवं और भी गंभीर स्थिति में बच्‍चा मृत पैदा हो सकता है। यदि गर्भावस्‍था से पहले, दौरान और बाद में ऐसी महिलाओं में उच्‍च रकतचाप की सही निगरानी नहीं की गई तो इन महिलाओं में अन्‍य प्रकार के हृदय रोग से लेकर हार्ट फेल होने तक की स्थिति पैदा हो सकती है। गर्भावस्‍था में उच्‍च रक्‍तचाप के कुछ अन्‍य खतरों में समय पूर्व प्रसव, दौरा और यहां तक कि कुछ मामलों में जच्‍चा बच्‍चा की मौत होने की खबरें भी आई हैं।

गर्भावस्‍था के दौरान उच्‍च रक्‍तचाप की शिकार महिलाओं के बारे में कहा गया है कि इनमें हृदय रोग से सबंधित लक्षण बच्‍चे के जन्‍म के 5 महीने बाद तक देखने को मिल सकते हैं। इस अवस्‍था के कुछ अन्‍य लक्षण हैं, थकान, सांस में कमी, सूजा टखना, गले की नसों में सूजन और कभी कभी हृदयगति या धड़कन बंद होने की स्थिति।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्‍यक्ष डॉक्‍टर के.के. अग्रवाल के अनुसार ये जरूरी है कि यदि किसी महिला को गर्भावस्‍था के दौरान उच्‍च रक्‍तचाप का पता चले तो उसे कुछ दिन अस्‍पताल में भर्ती रखकर उसकी निगरानी की जाए। उन्‍होंने कहा कि उच्‍च रक्‍तचाप के कारण हृदय को नुकसान पहुंच गया हो तो उसे ठीक नहीं किया जा सकता मगर कुछ दवाइयों और इलाज के जरिये हृदय काम करता रह सकता है। हालांकि कुछ गंभीर मामलों में हृदय प्रत्‍यारोपण की जरूरत पड़ सकती है। ये ज‍रूरी है कि महिलाएं मां बनने की योजना बनाने के साथ ही रक्‍तचाप को नियंत्रण में रखने के उपाय शुरू कर दें और इसके लिए जीवनशैली में बदलाव भी करें। इस अवस्‍था में बीटा ब्‍लॉकर्स जैसी दवाएं रक्‍तचाप कम करने में मदद कर सकती हैं।

कुछ टिप्‍स

गर्भावस्‍था से पहले, दौरान और बाद में रक्‍तचाप की जांच करें। नमक का इस्‍तेमाल कर करें क्‍योंकि इससे रक्‍तचाप बढ़ जाता है।

गर्भावस्‍था के दौरान भी शारीरिक गतिविधियां करती रहें और ज्‍यादा चर्बी न चढ़ने दें। गर्भावस्‍था के दौरान जरूरत से ज्‍यादा वजन बढ़ा लेती हैं और ये उच्‍च रक्‍तचाप के खतरे को बढ़ा देता है।

ये सुनिश्चित करें कि आप ऐसी कोई दवा ले रहे हैं जो कि रक्‍तचाप के स्‍तर को बढ़ा देती हो। यदि आप पहले से ही उच्‍च रक्‍तचाप की मरीज हैं तो गर्भधारण से पहले अपनी डॉक्‍टर की सलाह जरूर लें।

नियमित जांच करवाती रहें।

गर्भावस्‍था के दौरान तंबाकू और शराब दोनों नुकसानदेह हैं और इनसे परहेज करना चाहिए।

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